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Ramay Rambhadray: Prabhu ke Rupon ki Katha

रामायण के पात्र भगवान श्रीराम केवल एक धार्मिक महापुरुष नहीं हैं , बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति और जीवनशैली का आदर्श माना जाता है। भगवान राम को विभिन्न रूपों में पूजा जाता है , और उनके हर रूप के पीछे एक गहरा आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व छिपा है। " रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे " श्लोक के माध्यम से हम भगवान राम के अलग - अलग स्वरूपों की आराधना करते हैं , जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं , बल्कि जीवन के आदर्श मूल्यों की शिक्षा भी देते हैं। श्लोक : “ रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे | रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ||” अर्थ : भगवान राम , जो रामचंद्र , रामभद्र , रघुनाथ , और सीता के पति के रूप में प्रसिद्ध हैं , उन्हें नमन है। यह श्लोक उनके विभिन्न रूपों और गुणों को श्रद्धा और भक्ति के साथ प्रस्तुत करता है। इस श्लोक के चार मुख्य नामों - राम , रामभद्र , रामचंद्र , और रघुनाथ - के पीछे गहरे अर्थ छिपे हैं। इन नामों का क्या महत्व

Samay ka Shilaalekh: Jivashm ki Kahani

जीवाश्म , जिसे अंग्रेजी में "Fossils" कहा जाता है , प्रकृति के द्वारा समय की अमिट छापों को संजोने वाला एक अद्भुत माध्यम है। यह एक ऐसा विषय है जो हमें समय की अनंत धारा में बहकर गई प्राचीन जीवन की झलकियाँ दिखाता है। जीवाश्म न केवल पृथ्वी पर हुए जीवों की जानकारी प्रदान करते हैं , बल्कि उन परिस्थितियों का भी पता देते हैं जिनमें ये जीव अस्तित्व में थे। यह लेख जीवाश्मों के महत्व , उनके निर्माण की प्रक्रिया , और उनके अध्ययन द्वारा प्राप्त अद्वितीय जानकारी पर केंद्रित है। जीवाश्म क्या हैं ? जीवाश्म , वह अवशेष या निशान होते हैं , जो प्राचीन काल के जीव - जन्तुओं और पौधों के मृत होने के बाद पृथ्वी की परतों में संरक्षित हो जाते हैं। यह संरक्षित अवशेष जीवों की हड्डियों , दांतों , पत्तों , बीजों , या यहाँ तक कि उनके पैरों के निशानों के रूप में भी हो सकते हैं। जीवाश्म मुख्य रूप से तलछटी चट्टानों में पाए जाते हैं , जो समय के साथ मिट्टी , बालू और अन